Thursday, July 23, 2009

स्वप्नलोक

छोटी-छोटी आंखों में
बड़े- बड़े सपने सजाते रहे ,
पुराने चुक गए ,
हम नए बनाते रहे ।|
वो कहते हैं कि
सपने यथार्थ नही निरर्थक हैं ,
हम क्या कहें
सपनो के समर्थक हैं ।|
जीवन सत्य है और सपना बुलबुला
कुछ क्षण में फ़ुट जाएगा ,
कुछ क्षण तो बहुत हैं
जीवन तो ना जाने
किस क्षण छूट जाएगा ।|
मत रहो सपनो पर निर्भर ,
परिणाम भोगने होंगे दुष्कर,
किंतु निर्भरता भूल गए हम
सपनो कि दुनिया के भीतर ।|
सपनो कि दुनिया झूठी है,
माया का जादू भर है ,
भले कल्पना मात्र है वो
पर इस दुनिया से बहतर है ।|
स्वप्नलोक में रहने दो ,
मौन रहो अब कहने दो ।|
तुम ही बोलो- जी कर यथार्थ में ,
अब तक हमने है क्या पाया ?
रोये बस , आपस में लड़कर
एक दूजे का खून बहाया ।|
सपनो के बस लेशमात्र को
अगर आज सच कर दोगे ,
तो सोचो इस पुण्य धरा को
प्रेम से न तुम भर दोगे........