बूढा ज़मींदार विचारशून्य था । फटी आंखों से दाई की ऑर देख रहा था , जिसने अभी-अभी मृत पुत्र पैदा होने की ख़बर दी थी । यह चौथी बार था । इससे पहले बूढे ज़मींदार के तीन पुत्र पैदा होने के आधे घंटे के भीतर ही चल बसे थे । ऐसे तो यें संतानहीन नही थे , एक पुत्री थी , लगभग १ साल की , किंतु पुत्री किसे चाहिए !
"बिना पुत्र के मेरा वंश कैसे बढेगा ?" - बूढे ज़मींदार ने मन ही मन बुदबुदाया ।
भीतर के कमरे में अपनी २६ वर्षीया पत्नी के पास जाकर बोला - "क्या मैं एक पुत्र का मुह देखे बिना ही मर जाऊँगा ? पहली स्त्री भी पुत्र न दे सकी और न ही तुम । भगवान् ऐसा क्यों कर रहा है ?" प्रसव पीड़ा में भी मुस्कुराती हुई स्त्री बोली - "भगवान् नही मैं कर रही हूँ । आपके चारों पुत्रों को मैंने ही मारा है । "
ज़मींदार का बूढा शरीर अचम्भे और गुस्से से फडफडा रहा था किंतु मुह से एक भी शब्द न फूटा ।
स्त्री बलिष्ठ स्वर में कह रही थी - "ताकि एक बार फिर कोई अय्याश ज़मींदार किसी गरीब , मासूम नौकरानी कि इज्ज़त कि धज्जियाँ न उडाये और वो बेचारी नाबालिग बच्ची मजबूरन उसी घिनौने ज़मींदार से न ब्याही जाए । "
बूढे ज़मींदार के पास क्षमा मांगने के लिए शब्द न थे । उसका शरीर शिथिल पड़ रहा था और देखते ही देखते वह लड़खडाकर ज़मीन पर गिर गया ।
Monday, June 22, 2009
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kya khoob likhaa hai ! wah!!
ReplyDeletebadhai
aur blog jagat main swagat
gazab !
ReplyDeletegazab !
___________karaari chot .....badhaai !
behad marmik laghukatha.
ReplyDeleteNavit Nirav
ब्लॉग जगत पर पहला कदम रखने प्र स्वागत-यह दुनिया यानि ब्लॉगिंग की दुनिया भी हमारी पुरानी दुनिया सरीखी ही सुन्दर,अलबेली व कभी-कभी बेरहम भी लगेगी-बस अपनी पसन्द के साथी चुने या फ़िर यहां भी एकाकी चलें
ReplyDeleteउम्र भर साथ था निभाना जिन्हें
फासिला उनके दरमियान भी था
‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
इस गज़ल को पूरा पढें यहां
श्याम सखा ‘श्याम’
http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें
सुन्दर लघु कथा.. चार पुत्रों को मौत के घाट उतारने के बजाय क्या बूढ़े जमींदार को ही..?
ReplyDelete॥दस्तक॥|
गीतों की महफिल|
तकनीकी दस्तक
स्वागत है।
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए बस यह है:
?
बहुत खूब लिखा है........ दर्द भरा एहसास कुछ ही लाइनों में लिख दिया
ReplyDeletesundar kahani ..niyamit rahen.
ReplyDeletebhut khub aap ka swagat hai
ReplyDeletesaadar
praveen pathik
9971969084
damdar,shandar,jandar.narayan narayan
ReplyDeleteअच्छा है।
ReplyDeleteआप मूल्यों से उलझ रहे हैं, कथा के जरिए।
काफी अच्छा लिखा है। इसे कहते हैं प्रतिशोध।
ReplyDeletehttp://shyamgkp.blogspot.com